UP Outsourcing Employees: उत्तर प्रदेश में कार्यरत लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा सत्र के दौरान घोषणा की है कि राज्य के सभी कर्मचारियों को अब न्यूनतम ₹18,000 मासिक वेतन दिया जाएगा। यह फैसला वर्षों से कम वेतन पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
वर्षों से झेल रहे थे कम वेतन की मार
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा, विद्युत और अन्य विभागों में करीब 10 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं। ये कर्मचारी एजेंसियों के माध्यम से तैनात किए जाते हैं लंबे समय से वे कम वेतन, अनियमित भुगतान और सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे।
पिछले कुछ वर्षों में इन कर्मचारियों ने प्रदर्शन, ज्ञापन और पत्राचार के माध्यम से सरकार से वेतन वृद्धि की मांग की थी, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया था।
मुख्यमंत्री को सौंपा गया मांग पत्र
हाल ही में संगठनों ने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को एक मांग पत्र सौंपा, जिसमें वेतन बढ़ाने की मांग दोहराई गई। संगठन के महामंत्री सच्चिदानंद मिश्र ने बताया कि कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक है और सरकार को शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए।
पुरानी घोषणाएं, लेकिन अधूरी कार्यवाही
सरकार ने वर्ष 2018 में आउटसोर्स सेवा नियमावली घोषणा की थी लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया इसके बाद एसजीपीजीआई और केजीएमयू जैसे प्रमुख संस्थानों में वेतन पुनर्निर्धारण के लिए समितियां गठित की 9 जून 2023 को एक समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थ लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई।
विधानसभा में हुआ बड़ा ऐलान
21 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम ₹18,000 मासिक वेतन मिलेगा।[Related-Posts]
इसके साथ ही, उन्होंने “आउटसोर्स सेवा निगम” बनाने की भी घोषणा की, जो भविष्य में सभी भर्तियों और वेतन वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और केंद्रीकृत बनाएगा। इस निगम के माध्यम से कर्मचारियों को समय पर वेतन, स्थिरता और अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे।
UP Outsourcing Employees ₹18,000 न्यूनतम वेतन – पूरी जानकारी
विषय | विवरण |
---|---|
योजना का नाम | यूपी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन योजना 2025 |
घोषणा की तिथि | 21 फरवरी 2025 |
घोषणा करने वाले | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ |
लाभार्थियों की संख्या | लगभग 10 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी |
न्यूनतम वेतन पहले | अलग-अलग एजेंसियों पर निर्भर, अधिकतर ₹7,000 – ₹12,000 प्रति माह |
न्यूनतम वेतन अब | ₹18,000 प्रति माह |
लागू होने की स्थिति | अभी तक लागू नहीं हुआ, सरकार की ओर से अधिसूचना की प्रतीक्षा |
मुख्य लाभ | • सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम ₹18,000 मासिक वेतन• समय पर वेतन भुगतान की गारंटी• कार्य परिस्थितियों में सुधार• आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा में बढ़ोतरी |
पात्रता | • केवल उत्तर प्रदेश में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी• सरकारी विभागों, स्वास्थ्य, शिक्षा, विद्युत, चिकित्सा आदि में कार्यरत कर्मचारी• एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी |
कवरेज क्षेत्र | उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी विभाग, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, विद्युत, चिकित्सा, तकनीकी सेवाएं, प्रशासनिक सेवाएं आदि |
नई पहल | सरकार ने “आउटसोर्स सेवा निगम” बनाने की भी घोषणा की है, जो भविष्य में भर्ती और वेतन वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा |
वर्तमान स्थिति | घोषणा के छह महीने बाद भी निगम का गठन नहीं हुआ है और न ही वेतन वृद्धि लागू की गई है |
चुनौतियाँ | • निगम के गठन में देरी• वेतन वितरण में पारदर्शिता की कमी• कर्मचारी संगठनों का असंतोष• आंदोलन की चेतावनी |
आधिकारिक स्रोत | https://up.gov.in |
अभी भी इंतजार में कर्मचारी
हालांकि घोषणा को छह महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन न तो निगम का गठन हुआ है और न ही वेतन वृद्धि लागू हो पाई है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी और निराशा भी बढ़ने लगी है। कई कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि जल्द ही इस फैसले को लागू नहीं किया गया, तो वे फिर से आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
उम्मीद और भरोसा बना हुआ है
इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों को आर्थिक स्थिरता मिलने की संभावना है। यदि ₹18,000 वेतन की घोषणा को जल्द लागू किया गया, तो यह राज्य सरकार के प्रति कर्मचारियों के भरोसे को और मज़बूत करेगा। साथ ही इससे सामाजिक सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए ₹18,000 न्यूनतम वेतन देने की घोषणा निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक कदम है। हालांकि, इसकी वास्तविक सफलता तभी मानी जाएगी जब इसे जमीनी स्तर पर जल्द से लागू किया जाए। लाखों कर्मचारियों की निगाहें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर टिकी हैं। यदि यह योजना समयबद्ध ढंग से लागू होती है तो यह राज्य के रोजगार क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला निर्णय सिद्ध होगा।