PF account: कभी-कभी जिंदगी में हालात ऐसे हो जाते हैं कि नौकरी अचानक चली जाती है और भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो जाते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सहारा बनता है हमारा प्रॉविडेंट फंड (PF) अकाउंट, जिसमें हम हर महीने अपनी मेहनत की कमाई का हिस्सा जमा करते हैं। यही फंड नौकरी छूटने के बाद भी हमें मानसिक और आर्थिक मजबूती देता है। लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह सवाल बना रहता है कि नौकरी जाने के बाद भी क्या PF अकाउंट पर ब्याज मिलता रहेगा या नहीं? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
नौकरी जाने के बाद PF पर ब्याज का नियम
PF अकाउंट का संचालन EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) करता है और इसके नियम बहुत स्पष्ट हैं। यदि नौकरी छूट जाती है और आपके PF अकाउंट में नया योगदान आना बंद हो जाता है, तब भी आपकी जमा रकम पर ब्याज मिलता रहेगा। लेकिन यह ब्याज केवल 3 साल तक ही दिया जाएगा। तीन साल के बाद यदि नया योगदान नहीं होता है, तो आपका खाता निष्क्रिय (Dormant) हो जाएगा। अच्छी बात यह है कि खाता निष्क्रिय होने पर भी आपकी मूल राशि पूरी तरह सुरक्षित रहती है।
नौकरी छूटने के बाद PF से निकासी की सुविधा
EPFO ने नौकरी छूटने के बाद पैसे निकालने के नियम भी बेहद सरल रखे हैं। यदि नौकरी छूटने के 1 महीने बाद आपको तुरंत पैसे की ज़रूरत हो, तो आप अपने PF बैलेंस का 75% हिस्सा निकाल सकते हैं। वहीं यदि 2 महीने तक नई नौकरी नहीं मिलती, तो आप अपने PF का पूरा बैलेंस निकाल सकते हैं। यह नियम उन लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है, जिनकी आय अचानक बंद हो जाती है।
PF अकाउंट रखने के फायदे
PF अकाउंट सिर्फ बचत का साधन नहीं है बल्कि यह जीवनभर का सुरक्षा कवच है। इसमें जमा रकम आपको रिटायरमेंट के बाद भी आर्थिक स्थिरता देती है। इसके अलावा सरकार PF पर हर साल आकर्षक ब्याज दर प्रदान करती है, जो अक्सर दूसरी बचत योजनाओं से ज्यादा होती है। साथ ही PF में जमा पैसा और उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री होता है, जिससे यह स्कीम और भी फायदेमंद बन जाती है।
अगर कभी नौकरी चली भी जाए तो घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि PF अकाउंट आपके लिए मजबूती का सहारा बना रहता है। ब्याज तीन साल तक मिलता है और जरूरत पड़ने पर आप अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा निकाल भी सकते हैं। यही वजह है कि PF को जीवनभर की सुरक्षा कहा जाता है।[Related-Posts]
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी आर्थिक निर्णय लेने से पहले आधिकारिक स्रोतों या वित्तीय सलाहकार की सलाह ज़रूर लें।
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